Tagged! Sant Shri Asharamji Gurukul विद्यार्थियों के लिए सर्व सफलता का सरल उपाय बच्चों का दिल निर्दोष होता है और निर्दोष दिल में दोषी संसार का कपट भरे उसके पहले निर्दोष नारायण का ज्ञान भरे और उसका अभ्यास करें तो बच्चे जल्दी से ईश्वर पा सकते हैं | यह बात भगवान राम के गुरुदेव वसिष्ठजी ने कही हैं | भगवान या गुरु के सामने देखें और ‘ॐ’ का जप करें, फिर देखें और ‘ॐ’ का दीर्घ व प्लुत उच्चारण करें | इससे एकाग्रता बढ़ेगी, बल, बुद्धि और ओज-तेज में भी बढ़ोतरी होगी | 20-30 मिनट दिन में दो-तीन बार करें | 40 दिन में काफी उन्नति का अनुभव होने लगेगा | पढने में भी सफलता और भगवान को पाने में भी सफलता ! ऋषिप्रसाद – फरवरी 2014 से वीर्य - रक्षा के अमोघ उपाय दिव्य प्रेरणा प्रकाश पुस्तक से:- :- :- ब्रह्मचार्य पालन में निम्न प्रयोग मदद करेंगे :- ८० (80) ग्राम आंवला चूर्ण और २० (20) ग्राम हल्दी चूर्ण का मिश्रण बना लो |सुबह - शाम (३ -३ ) तीन - तीन ग्राम फांकने से ८-१० ( 8-10) दिनों में ...ही सरीर में वर्ण , चेहरे में मुहासे या विस्फोट , नेत्रों के चत्रुदिक नीली रेखाएं दुर्बलता , निद्रालुता , आलस्य ,उदासी , ह्रदय कंप ,निद्रा में मूत्र निकल जाना , मानसिक अस्थिरता ,विचार शक्ति का अभाव ,दुह: स्वपन स्वप्न दोष व मानसिक अशांति | उपरोक्त सभी रोगों को मिटाने का इलाज ब्रह्म चार्य है | "ॐ अर्यमाये नम:" मन्त्र ब्रह्मचर्य के लिए बड़ा महत्त्व पूर्ण है | स्थल- बस्ती भी वीर्य - रक्षा का अमोघ उपाय है | लेटकर स्वास बाहर निकालें और अश्विनी मुद्रा अर्थात गुदा द्वार का आकुचन -प्रसरण स्वास बाहर ही रोक कर करें | ऐसे एक बार में ३०-३५ (30-35) आकुंचन- प्रसरण करें ! तीन - चार बार स्वास रोकने में १००- १२० (100-120) बार यह क्रिया हो जायेगी | यह ब्रह्मचार्य की रक्षा में खूब- खूब मदद करेगी |इससे व्यक्तित्व .. का विकास होगा ही , वाट- पित्त - कफजन्य रोग भी दूर होंगे | —]
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